गुलामों का Independence Day - 15 अगस्त, India Have Need of Action Not of Celebration.
क्या सच में आपको लगता है कि आप सब आज़ाद है, क्या सच में लगता है कि आप सब एक आज़ाद देश के नागरिक है, क्या आपको लगता है अंग्रेजो ने भारत को छोड़ा और आप आज़ाद हो गए ??
आपका तो पता नहीं पर मुझे लगता है कि मैं तो आज़ाद नहीं हूँ और ना ही मेरे हिसाब से आप आज़ाद है और ना ही हमारा देश भारत और अगर ऐसा है तो फिर, किस बात का समारोह, कैसी स्वतंत्रता दिवस?>
हमारे सिर्फ शासक बदले है वो शासक जो हमे अपना गुलाम समझते है, जो हमे मुर्ख समझते है, हम पर अपना हुकम चलाते है जो हमे लूट के अपनी तिजोरी भरते है, अंग्रेजो ने हमे जरुर छोड़ा पर छुटते ही हमारे अपने ही देश के चोर, बेईमान, ठग, धूर्त अपराधी नेताओ ने हमे अपना गुलाम बना लिया।
जानते है ऐसा क्यूँ हुआ क्यूंकि हमे अंग्रेजो से आज़ादी तो मिल गयी पर हम अपनी घटिया छोटी सोच से आज़ाद नहीं हो पाए। हम तब भी अपने अपनों से ही लड़ते थे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों के नाम पर और आज भी लड़ते है। हम तब भी जाती धर्म को इंसानियत से ऊपर रखते थे और आज भी रखते है, और इसी का फायदा हमे गुलाम बनाने वालो ने पहले भी उठाया था और आज भी उठा रहे है। तो जब आपको अपनी इस घटिया सोच का गुलाम ही बने रहना है तो फिर कैसी आज़ादी मना रहे है आप।
आज आप अपने मन का कुछ खा पि नहीं सकते गलती से भी इन नेताओ को वो पसंद ना होगा या उससे वोट मिलने वाला होगा तो उसके लिए कानून के नाम का ठेंगा आपको दिखा के बैन लगा देंगे उस पर, आप सड़को पे रात को निकलते है और पीछे से माँ की आवाज आती है कि जल्दी आ जाना दिन जमाना ख़राब है, आप एक लड़की हैं और पहाड़गंज- दिल्ली की तरफ से रेलवे स्टेशन पे जाते वक़्त आपका साथी कहता है कि स्टेशन से बाहर मत निकलना ये एरिया ख़राब है, और ना जाने ऐसा कितना एरिया है इस देश में, आप डॉक्टर के यहाँ अपने बच्चो का इलाज़ करवाने जाते है बीमारी छोटी होती है फिर भी घर बच्चा नहीं उसकी लाश आती हैं तो फिर कैसी आज़ादी का समारोह मना रहे है आप, क्या यही आज़ादी है?
70 हज़ार की आवादी वाला एक गाँव जजुआर जब बिजली मांगने के लिए मुख्यमंत्री नितीश कुमार से मिलता है और वो ये कहते हुए भाग जाते हैं कि हमे पता है वहां बिजली नहीं है, और वही गाँव अगली बार प्रधानमंत्री के खास मंत्री में से एक पियूष गोयल, उर्जा मंत्री, भारत सरकार से मिलता है और मंत्री महोदय कहते है जा के नितीश कुमार से मांगिये हमारे पास क्यूँ आये है, तब फिर कैसी आज़ादी क्या अँधेरे में जीने और मरने को आज़ादी कहते है?
जब बाढ़ कि चपेट में आये गाँव में रहने वाले एक पिता को अपने बच्चे को दफ़नाने के लिए दो गज ज़मीन भी नहीं मिलती जिसकी वजह से वो अपने बेटे की लाश को नदी में बहा देता है तब कैसा लगता है ये कोई आज़ादी दिवस मनाने वाला बता सकता है?
जब मेहनत से कमाये गये इस देश की करोड़ो जनता के टैक्स के पैसे नेताओ के खातो में हो तो कैसी आज़ादी। जिस देश में आज़ादी के इतने साल बाद आज भी लोग भूख से मरते हो, वो देश आज कैसी आज़ादी मना रहा है मेरे तो समझ से पड़े।
किसी ने मुझे कहाँ हम अपने देश के तिरंगे का सम्मान करते है और अपनी आज़ादी का बिगुल लाल किले की दीवारों से बजाते है, हम वो भारतवाशी है। अरे चोर बेईमान नेताओ से इलाज करवाने वाले और सब ठीक हो जायेगा इस नाम का दिलशा कंपनी वाली टेबलेट खा के सोयी हुई जनता, घंटा सम्मान देते हो आप तिरंगे को और घंटा बिगुल फूकते हो, इस देश के तिरंगे का सम्मान तो उस दिन होगा असली जब इस देश में लोग भूख, बेरोजगारी, गरीबी से नहीं मरेंगे, जब इस देश में एक समान शिक्षा सबको मिलेगा, ये होता है सम्मान देश और देश के झंडे का, लाल किले पे खड़े हो के चीखने, चिल्लाने और तिरंगा फहराकर करोड़ो खर्च करने को सम्मान देना और बिगुल फुकना नहीं कहते इसे सिर्फ और सिर्फ दिखावा कहते है।
इसलिए ऐसा 15 अगस्त और ऐसी आज़ादी आपसब को ही मुबारक मैं जिस दिन आज़ाद हो जाऊंगा अपनी बुरी सोच से, अपने अन्दर के डर से और औरो को भी आज़ाद कर पाउँगा, वही दिन मेंरे लिए आज़ादी का दिन होगा। बाकी गुलामों वाला Independence Day आपसब सेलिब्रेट करो आपको इसी आज़ादी की बधाई, पर हां आज आपको Happy Independence Day नहीं कहूँगा बल्कि Happy Slave Day कहूँगा। आप slave day को Independence Day समझ लेना क्यूंकि आपको तो अब आदत हो गयी गुलामी को आज़ादी समझने कि।
आखिरी में यही कहूंगा कि,.....
अये भारत तेरी तरक्की के आसार बहूत है,
पर क्या करे तेरे घर में तेरे अपने ही गद्दार बहूत है।
उम्मीद है नसीब-ए-तरक्की तेरे भी एक दिन आएगी,
देर आएगी दर पे तेरे, पर दुरुश्त आएगी।
नोट: किसी की व्यक्तिगत भावना पे चोट करना का मेरा कोई उद्देश्य नहीं है मैंने सिर्फ अपनी भावना व्यक्त कि हैं किसी को चोट पहुंचे तो माफ़ी, मैं भी अपने देश को बहूत प्यार करता हूँ शायद आपसे ज्यादा ही पर अपने देश की दशा देख बहूत दु:खी हूँ।
गौरव सिंह